कुठे कुठे वाचलेल्या, ऐकलेल्या अाणि अावडलेल्या कविता अाणि शेर.
रात बहुत है, प्यास बहुत है, बरसातों की बात करो,
खाली जाम लिए बैठे हो, उन आँखों की बात करो !!
-- भक साला
कुछ नब्ज़ें सूख के टूट गयी
समेट रखी हैं मैने
बड़े दिन हुए तुम्हारे लफ्ज़ चखे
आओ दिल के चूल्हे में
इन सूखी नब्ज़ों को छूकर
साँसों की आँच उठाते हैं
आओ बैठो
निगाहों से इक बात पकाते हैं
-- बदनाम परिंदे
तुम्हारा खयाल ही इतना रेशमी है सनम
के हमारा वजूद उस में कहीं फिसल जाता है ।।
-- भक साला
इन बादलों के मिज़ाझ मेरे मेहबूब से मिलते है
कभी टूट के बरसते है...
कभी बेरूखी से गुज़र जाते है ।।
-- भक साला
दिल अपना हम, सिगरेट में रख कर जी लेते हैं
मौका मिलते ही, जला कर कश में पी लेते हैं
-- unknown
रात बहुत है, प्यास बहुत है, बरसातों की बात करो,
खाली जाम लिए बैठे हो, उन आँखों की बात करो !!
-- भक साला
कुछ नब्ज़ें सूख के टूट गयी
समेट रखी हैं मैने
बड़े दिन हुए तुम्हारे लफ्ज़ चखे
आओ दिल के चूल्हे में
इन सूखी नब्ज़ों को छूकर
साँसों की आँच उठाते हैं
आओ बैठो
निगाहों से इक बात पकाते हैं
-- बदनाम परिंदे
तुम्हारा खयाल ही इतना रेशमी है सनम
के हमारा वजूद उस में कहीं फिसल जाता है ।।
-- भक साला
इन बादलों के मिज़ाझ मेरे मेहबूब से मिलते है
कभी टूट के बरसते है...
कभी बेरूखी से गुज़र जाते है ।।
-- भक साला
दिल अपना हम, सिगरेट में रख कर जी लेते हैं
मौका मिलते ही, जला कर कश में पी लेते हैं
-- unknown
दुवा करो मेरी खुशबू पे तबसिरा ना करो
के एक रात में खिलना भी था, बिखरना भी था ।।
-- कैसर-उल-जाफ़री
जुदाई तो मुकद्दर है फिर भी जान-ए-सफर
कुछ और दूर जरा साथ चल कर देखतें है ।।
-- फ़राझ
वो लजायें मेरे सवाल पर
के उठा सकें ना झुका के सर
उड़ी झुल्फ़ चेहरें पे इस तरह्
के शबों के राझ मचल गये
मेरे लब पे जो ना अा सकें
मेरे दिल में इतनें सवाल थे
तेरे दिल में जितनें जवाब थे
तेरी इक निग़ाह में अा गयें ।।
-- (unknown - Ref: Rakesh Bedi, Old Chashme Baddur)